कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्विद्यालय की अंगीभूत म. अ. रमेश्वरलता संस्कृत महाविद्यालय, अंग्रेजी साहित्य विभाग से सेवा निवृत्त सह-प्राचार्य डॉ. विमल नारायण ठाकुर अपनी सेवावधि में शिक्ष्ण कार्य के अतिरिक्त विश्विद्यालय में कुलानुशासक सहित अनेक प्रशासकीय भूमिका का निर्वहन किया l अध्ययन एवं लेखन के प्रति इनका लगाव अबाध रहा है l अंग्रेजी साहित्य के अतिरिक्त प्राच्य शास्त्र विशेषक संस्कृत साहित्य एवं प्राच्य दर्शन इनके गवेषण का विषय रहा है l इनकी रचनाओं में अब तक प्रकाशित ग्रंथ निम्नांकित हैं -
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Shakespeare’s Sonnets and the Bhagvadgita
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Poetic Plays of Sri Aurobindo
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Manhood (Novel)
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Pearls of Knowledge
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ज्ञानगंगा सदा गीता (गीता के मर्म को सहेजती हिंदी काव्य संग्रह )
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विशभद्र (हिंदी उपन्यास )
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शाण्डिल्य भक्तिसूत्र (हिंदी व्याख्या एवं अंग्रेजी भावार्थ )
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लोकगुरु का सन्देश (समन्वित योग शिक्षा )
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भजन-भक्ति (मैथिली भाषा में पंचदेवोपासको के निमित्त सद्प्रेरक भजनावली )
मिथिलान्तर्गत दरभंगा मण्डल के गलमा ग्रामवासी डॉ. विमल नारायण ठाकुर के स्वभाव में अध्ययन, अध्यापन शास्त्रानुशीलन तथा लेखन कार्य स्थापित हैं l चिदविलास माला में ग्रन्थित सात शतकों की मणिका इनकी लोकहितैषी दृष्टि को प्रकाशित करती हैं